Shiv Chalisa PDF Download in Hindi & English, श्री शिव चालीसा: Books are always the best source to gather any knowledge of the entire world and universe. Actually, books are the best source to expand our knowledge. As we are living in the digital era but the popularity of reading books is not still decreased. A book is always the best friend of the readers, as they make a conversation with them.
Nowadays, the popularity of Ebook is going to increase as people wanted to read books and novels at any time and any moment. So here, with the help of this article, we will provide you with the information and PDF downloading link of a new book which will really help you to gather new knowledge.

Here, we will share with you all the important aspects of the Shiv Chalisa PDF Download in Hindi and English. So, read the article till the end to grab all the details easily and accurately.
Details of Shiv Chalisa PDF Download
Article is About | Shiv Chalisa PDF Download/ Shiv Chalisa Lyrics in Hindi and English |
Year | 2022 |
Mode | Online |
Format | |
No of Page | 21 |
PDF Size | 1 MB |
Category | Religious and Spirituality |
Language | Hindi and English |
Official Website | Updating Soon |
Also Read:
- Vision IAS Governance Notes in Hindi
- PNB KYC Form PDF
- SBI KYC Form PDF
- Chronology August PDF
- Pratiyogita Darpan August 2021
- Pratiyogita Kiran August 2021
- Vaishali Ma’am Disaster Management Notes
- Indian Polity MCQs PDF
- Dainik Asam Epaper
- Assam Tribune Epaper
- Deshonnati Epaper
- ITC Product List 2021
श्री शिव चालीसा PDF Download| Shiv Chalisa Lyrics PDF in Hindi
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
श्री शिव जी की आरती PDF Download| Shiv Ji Ki Aarti PDF in Hindi
ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुराननपञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे,सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
Shiv Chalisa in Hindi PDF Download Link
Shiv Chalisa in English PDF Download Link
Note: We provide here the PDFs for only educational purposes. If you have any issues regarding the article then do send us a message through our official email. |